सऊदी अरब में Ashura कार्यक्रम स्थापित करने वालों को सज़ा!
अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार ऐजेंसी (IQNA) अल-आलम के अनुसार, कानूनी सूत्रों के अनुसार, सऊदी की अह्सा न्यायालय ने पिछले साल Ashura कार्यक्रम स्थापित करने के आरोप में कुछ नागरिकों के हक़ में ऐसे आदेश जारी किऐ जिनके आधार पर नागरिकों में से ऐक को 50 दिनों की जेल और कोड़े लगाने का आदेश है।
समाचार "नब्आ" ने ऐक सूचनें लिखा: यह पहली बार नहीं है कि सऊदी में इस तरह के आदेश नागरिकों के ख़िलाफ़ जारी किए जाते हैं क्यों कि सऊदी अरब के अम्रबिल मारूफ़ बोर्ड वर्ष 1998 में, अहमद Almlblb, अह्सा में Aljfr के गांव में एक मस्जिद के मुअज्जिन को गिरफ्तार कर लिया और एक अज्ञात स्थान पर लेगऐ है और कुछ समय बाद उसके परिवार से कहा उसके शरीर को लेने के लिऐ आजाऐं।
ताहा अल-हाजी, एक सऊदी वकील व मानव अधिकारों का जानने वाले ने इन आदेशों को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों के खुले उल्लंघन से वर्णित किया।
उन्होंने इस पर बल देते हुऐ कि यह आदेश कानून, शरीअत और मानव अधिकार कानून के प्रावधानों के विपरीत है,ध्यान कराया कि इन जैसे आदेश इस बात पर दलील हैं कि सऊदी अरब में सह-अस्तित्व और संवाद परियोजना जैसे मुद्दे सिर्फ एक विज्ञापनी नारा है।
अली आले Ghrash, कार्यकर्ता और पत्रकार ने भी धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने के आरोप में कारावास और जिस्मानी सज़ा को दमनकारी आदेश से वर्णन किया और सऊदी शासन में उत्पीड़न और कानून के शासन की कमी पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि सऊदी शासन का ऐसे विचारों को स्वीकार करना व ज़ोर देना जिसके आधार पर सऊदी समाज के कुछ लोगों को विधर्मी और बुतपरस्त जानता है और उनकी खातिर नागरिकों को हिरासत में लेना और अत्याचार करना ऐक ऐसी बात है जो देश और क्षेत्र की सामाजिक सुरक्षा के लिऐ खतरा है।