रमज़ान मुबारक, ईदे मुबारक अल-फ़ितर पर ख़तरम और «اللّهُمَّ أَهْلَ الْكِبْرِياءِ وَالْعَظَمَةِ» "अल्लाहुम्फा अहल अल-किब्रिया वा अल-अज़मा" की सुखद ध्वनि एक विशाल समाज में गूंजती है जो इस्लाम की महानता को दर्शाती है, और इसका मतलब है, हे दुनिया के लोगों, यह जानलो कि बहुत से लोगों ने अपने इरादे से सर्वशक्तिमान की दासता और आज्ञाकारिता की घोषणा करने के लिए एक महीने तक उपवास किया; ताकि अल्लाह की बारगाह में मकबूल हों!
रमज़ान के अंत में सबसे महत्वपूर्ण और शुभ कार्यों में से एक ईद-उल-फितर की नमाज़ अदा करना है।
ईद-उल-फितर की नमाज़ ईद-उल-फितर के दिन सूर्योदय से दोपहर तक पढ़ी जानी चाहिए। इमाम (अ.स.) की उपस्थिति के दौरान ईद-उल-फितर की नमाज़ अदा करना अनिवार्य है, लेकिन इमाम की अनुपस्थिति के दौरान यह नमाज़ अदा करने की सिफारिश की गई यानि मुस्तहब है।
ईद-उल-फितर की नमाज अदा करने की रस्मों के संबंध में, यह दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है कि ईद-उल-फितर की नमाज से पहले, आपको फित्रियह को एक तरफ रख देना चाहिए और सुबह और ईद की नमाज के समय के बीच, और जब आप चाहें तो ग़ुस्ल कर लें। ग़ुस्ल करो,तो कहो: اللّهُمَّ إِيماناً بِكَ وَتَصْدِيقاً بِكِتابِكَ وَاتِّباعَ سُنَّةِ نَبِيِّكَ مُحَمَّدٍ صَلَّى اللّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ। फिर अल्लाह का नाम कहें यानिبسم الله और ग़ुस्ल करें और ग़ुस्ल के बाद कहें: اللّهُمَّ اجْعَلْهُ كَفَّارَةً لِذُنُوبِي وَ طَهِّرْ دِينِي، اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنِّي الدَّنَسَ»।
ईद की नमाज़ से पहले रोज़ा खोलने की भी सलाह दी जाती है और अगर खजूर या मिठाई से रोज़ा खोला जाए तो बेहतर है।
ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले प्रार्थना
ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले इस दुआ को पढ़ने की सलाह दी जाती है: «اللّهُمَّ مَنْ تَهَيَّأَ فِى هذَا الْيَوْمِ أَوْ تَعَبَّأَ أَوْ أَعَدَّ وَاسْتَعَدَّ لِوِفادَةٍ إِلى مَخْلُوقٍ رَجاءَ رِفْدِهِ وَنَوافِلِهِ وَفَواضِلِهِ وَعَطايَاهُ فَإِنَّ إِلَيْكَ يَا سَيِّدِى تَهْيِئَتِى وَتَعْبِئَتِى وَ إِعْدادِى وَاسْتِعْدادِى رَجاءَ رِفْدِكَ وَجَوائِزِكَ وَنَوافِلِكَ وَفَواضِلِكَ وَفَضائِلِكَ وَعَطاياكَ، وَقَدْ غَدَوْتُ إِلى عِيدٍ مِنْ أَعْيادِ أُمَّةِ نَبِيِّكَ مُحَمَّدٍ صَلَواتُ اللّهِ عَلَيْهِ وَعَلَى آلِهِ، وَلَمْ أَفِدْ إِلَيْكَ الْيَوْمَ بِعَمَلٍ صالِحٍ أَثِقُ بِهِ قَدَّمْتُهُ، وَلَا تَوَجَّهْتُ بِمَخْلُوقٍ أَمَّلْتُهُ، وَلكِنْ أَتَيْتُكَ خاضِعاً مُقِرّاً بِذُنُوبِى وَ إِساءَتِى إِلى نَفْسِى، فَيا عَظِيمُ يَا عَظِيمُ يَا عَظِيمُ اغْفِرْ لِىَ الْعَظِيمَ مِنْ ذُنُوبِى، فَإِنَّهُ لَايَغْفِرُ الذُّنُوبَ الْعِظامَ إِلّا أَنْتَ، يَا لَاإِلهَ إِلّا أَنْتَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ.
ईद-उल-फितर की नमाज़
ईद-उल-फितर की नमाज दो रकअत है। पहली रकअत में हमद और अल-आला सूरह पढ़ें; फिर पाँच तकबीरें कहें, और प्रत्येक तकबीर के बाद कुनत लें और कहें اللّهُمَّ أَهْلَ الْكِبْرِياءِ وَالْعَظَمَةِ، وَأَهْلَ الْجُودِ وَالْجَبَرُوتِ، وَأَهْلَ الْعَفْوِ وَالرَّحْمَةِ، وَأَهْلَ التَّقْوى وَالْمَغْفِرَةِ، أَسْأَلُكَ بِحَقِّ هذَا الْيَوْمِ الَّذِى جَعَلْتَهُ لِلْمُسْلِمِينَ عِيداً، وَ لِمُحَمَّدٍ صَلَّى اللّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ ذُخْراً وشَرَفاً وَمَزِيداً أَنْ تُصَلِّىَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَأَنْ تُدْخِلَنِى فِى كُلِّ خَيْرٍ أَدْخَلْتَ فِيهِ مُحَمَّداً وَآلَ مُحَمَّدٍ، وَأَنْ تُخْرِجَنِى مِنْ كُلِّ سُوءٍ أَخْرَجْتَ مِنْهُ مُحَمَّداً وَآلَ مُحَمَّدٍ صَلَواتُكَ عَلَيْهِ وَعَلَيْهِمْ أجْمَعِين. اللّهُمَّ إِنِّى أَسْأَلُكَ خَيْرَ مَا سَأَلَكَ مِنْهُ عِبادُكَ الصَّالِحُونَ، وَأَعُوذُ بِكَ فِيهِ مِمَّا اسْتَعاذَ مِنْهُ عِبادُكَ الصَّالِحُونَ.।
फिर छठी तकबीर पढ़ें और रुकू में जाएं और रुकू और सुजुद के बाद सूरह हमद के बाद दूसरी रकअत में सूरह शम्स पढ़ें। फिर चार तकबीरें कहें और हर तकबीर के बाद क़ूनूत लें और वही दुआ पढ़ें; जब आप ख़त्म कर लें तो पाँचवीं तकबीर कहें और रुकू व सजदह जाकर नमाज़ ख़त्म करें और सलाम के बाद हज़रत ज़हरा की तस्बीह पढ़ें।
ईद-उल-फितर की नमाज के बाद साहीफा सज्जादिया की छियालीसवीं दुआ पढ़ने की भी सिफारिश की जाती है।
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